जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए।

बी. आर. आंबेडकर

मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सिखाये।

बी. आर. आंबेडकर

बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

बी. आर. आंबेडकर

हिंदू धर्म में, विवेक, कारण, और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

बी. आर. आंबेडकर

क़ानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।

बी. आर. आंबेडकर

समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।

बी. आर. आंबेडकर

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जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं।

बी. आर. आंबेडकर

यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

बी. आर. आंबेडकर

शिक्षित रहें, संगठित रहें और आंदोलित रहें।

बी. आर. आंबेडकर

जो इतिहास भूल जाते हैं, वे इतिहास नहीं बना सकते।

बी. आर. आंबेडकर

मनुष्य नश्वर है। उसी तरह विचार भी। एक विचार को उतने ही प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, जितनी एक पौधे को पानी की। अन्यथा दोनो मुरझा जायेंगे और मर जायेंगे।

बी. आर. आंबेडकर

जाति कोई ईंटों की दिवार नहीं है या कोई काँटों का तार नहीं है जो हिंदुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है जो मन की एक अवस्था है।

बी. आर. आंबेडकर

यदि आप एक सम्मानजनक जीवन जीने में विश्वास करते हैं, तो आप स्वालंबन में विश्वास करते हैं जो श्रेष्ठ सेवक है।

बी. आर. आंबेडकर

पति पत्नि के  बीच का संबंध एक घनिष्ठ मित्र के समान होना चाहिए ।

बी. आर. आंबेडकर

सबसे पहले और अंत तक हम एक भारतीय हैं।

बी. आर. आंबेडकर

जैसे पानी की बूंद समुद्र में मिलकर अपना अस्तित्व खो देती है, इसके विपरीत इंसान समाज में मिलकर अपना अस्तित्व नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है वह समाज के विकास के लिए नहीं बल्कि अपने विकास के लिए पैदा हुआ है।

बी. आर. आंबेडकर

मैं किसी समाज की उन्नति को महिलाओं की उन्नति से मापता हूँ।

बी. आर. आंबेडकर

धर्म और गुलामी असंगत हैं।

बी. आर. आंबेडकर

हमें अपने पैरों पर खड़े होना है। अपने अधिकार के लिए लड़ना है तो अपनी ताकत और बल को पहचानो क्योंकि शक्ति और प्रतिष्ठा संघर्ष से ही मिलती है।

बी. आर. आंबेडकर

एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है। जिसकी आवश्यकता है, वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।

बी. आर. आंबेडकर