कभी किसी को इतना भी मत डराओ की डर ही खत्म हो जाएं।

मैरी कॉम

मैं अपने बच्चों को मिस करती हूँ, और वे मुझे मिस करते हैं। ये बहुत मुश्किल है, लेकिन मुझे अपने देश के लिए ये करना है और 2012 लंदन ओलम्पिक में जाने का सपना पूरा करना है।

मैरी कॉम

एक खिलाड़ी के जीवन में, दबाव हमेशा बना रहता है; आपको इससे निपटना सीखना होता है।

मैरी कॉम

मुक्केबाजी के बिना, मैं नहीं रह सकती। मुझे मुक्केबाजी से प्यार है।

मैरी कॉम

मैंने बॉक्सिंग बस मेरी रूचि की वजह से खेलना शुरू किया और अपने माता-पिता की आर्थिक मदद करने के लिए।

मैरी कॉम

मैंने एथेलेटिक्स की शुरुआत 1999 से की, डिस्कस थ्रो और शॉट पुट फेंकने के साथ। मैंने अपने परिवार को नहीं बतया कि मैंने बॉक्सिंग कब शुरू की।

मैरी कॉम

मेरे पास कोई सहारा नहीं था, कोई मौका नहीं था, मेरे करियर के ज्यादातर समय में मेरे पास कोई प्रायोजक नहीं था।

मैरी कॉम

मैं केवल अपनी तकनीक या ताकत पर ही भरोसा नहीं करती बल्कि अपने मन पर भी भरोसा करती हूँ।

मैरी कॉम

अगर मैं दो बच्चों की माँ होकर एक मेडल जीत सकती हूँ, तो आप सब भी ऐसा कर सकते हैं। मुझे एक उदाहरण के तौर पर लें और कभी हार ना मानें।

मैरी कॉम

लोग कहा करते थे कि बॉक्सिंग पुरुषों के लिए है महिलाओं के लिए नहीं और मैं सोचा करती थी कि एक दिन मैं उन्हें दिखाऊगी। मैंने खुद से वादा किया और खुद को साबित किया।

मैरी कॉम

मैं उम्मीद करती हूँ कि हमारे लोगों द्वारा देश के लिए मेडल जीते जाने से नस्लीय भेदभाव कम होगा।

मैरी कॉम

हार मत मानो, हमेशा अगला मौका ज़रूर आता है।

मैरी कॉम

मुख्यतः मेरा ध्यान अधिक से अधिक महिला मुक्केबाजों को प्रशिक्षण देना और उनसे उत्कृष्ट प्रदर्शन कराना है।

मैरी कॉम

एक सफल बॉक्सर होने के लिए एक मजबूत दिल का होना ज़रूरी है। कुछ महिलाएं शारीरिक रूप से मजबूत होती हैं पर जब मजबूत दिल होने की बात आती है तो वे फेल हो जाती हैं।

मैरी कॉम

हम पुरुषों से अधिक मेहनत करते हैं और देश को गौरवान्वित करने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ने के लिए दृढ हैं।

मैरी कॉम

मुक्केबाजी आसान नहीं है। जब मैंने शुरू किया, मेरे पुरुष मित्र कहते, ये महिलाओं का खेल नहीं है। पर मैं कहती अगर पुरुष कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं।

मैरी कॉम

जो तुम बोते हो वो तुम काटोगे जो मैं बोती हूँ वो मैं काटूंगी।

मैरी कॉम

जब मैं घर पर होती हूँ तो एक माता, एक पत्नी के तौर पर रहती हूँ पर जब में रिंग में होती हूँ तो खिलाडी के तौर पर रहती हूँ.

मैरी कॉम

मैं जब Push-up करती हूँ तो count नहीं करती। मैं count तब करती हूँ जब मुझे दर्द होना शुरु होता है।

मैरी कॉम

मैं वो सफ़ेद कपड़ा हूँ, जिसे जिस रंग में डूबा दो उसमे वही रंग चढ़ जायेगा।

मैरी कॉम

जीतने वाले लोग अलग चीजें नहीं करते बल्कि चीजों को अलग तरह से करते है।

मैरी कॉम

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